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सुबह की पहली किरण




विधा- गीत
  विषय - सुबह की पहली किरण 

सुबह की पहली किरण,हमको जगाने आई है। दिनकर को दिया पहरा तम को भगाने आई है।

 किरण के आते ही सारे जग में हलचल हो गई। जीव जंतु पक्षी सभी में खलबली है मच गई।

 लग गए सब काम में निश्चल तन मन भाव से। कंटकों को भुलाकर, पूर्ण करते चाव से ।

दिनकर के माया जाल में हम फंसे अनजान है। अटल सत्य को भुलाकर, बना बैठे शान है।

 जान व पहचान को अपना बनाकर रह गए। अपना नहीं कुछ भी यहां पर सब मानकर रह गए ।

जग में जितने जीवधारी वे सभी चलते बने। पहली किरण सा हाल सबका सपना यह कैसे बुने ।

 स्वरचित व मौलिक 
डा आर बी पटेल "अनजान"
छतरपुर म प्र




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6 Comments

Pranav kayande

09-Jan-2024 04:23 AM

best

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Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:06 PM

👏👌

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Madhumita

07-Jan-2024 06:25 PM

Nice one

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